महर्षि दयानन्द स्वाधीनता संग्राम के सर्वप्रथम योद्धा और हिन्दूजाति के रक्षक थे। उनके द्वारा स्थापित आर्यसमाज ने राष्ट्र की महान् सेवा की है और कर रही है। स्वतन्त्रता के संग्राम में आर्यसमाजियों का बड़ा हाथ रहा है। महर्षिजी का लिखा अमर ग्रन्थ ‘सत्यार्थप्रकाश’ हिन्दूजाति की रंगों में उष्ण रक्त का संचार करनेवाला है। ‘सत्यार्थप्रकाश’ की विद्यमानता में कोई विधर्मी अपने मज़हब की शेखी नहीं मार सकता।