ऋषि दयानन्द ने भारतवर्षरूपी वृक्ष का जल से सिंचन किया था। उनके शुभ प्रयास से विविध प्रकार के स्वादिष्ट फल मिले और मिलेंगे। स्वामीजी ने युवकों के हृदय में त्याग, परोपकार और देशभक्ति की ज्योति जगाई। हिन्दूजाति की जो उन्नति दिखाई दे रही है, उसका श्रेय स्वामीजी को ही प्राप्त है। भारतवर्ष के इतिहास में स्वामीजी का नाम महान् सुधारकों की पवित्र श्रेणी में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा।