मैंने महर्षि दयानन्द का क्रान्तिकारी ग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश पढ़ा। इससे तख्ता ही पलट गया। सत्यार्थप्रकाश के अध्ययन ने मेरे जीवन के इतिहास में एक नवीन पृष्‍ठ खोल दिया।