महर्षि दयानन्द सरस्वती जी का सबसे बड़ा योगदान नारी जाति को शिक्षा और सम्मान प्रदान करना था। उनका मानना था कि नारी के शिक्षित होने से परिवार स्वयं शिक्षित होते चले जायेंगे। मैं भी यही समझती हूँ कि अगर एक लड़के को हम शिक्षित करते हैं तो एक व्यक्ति को हम शिक्षित करते हैं परन्तु एक बालिका को हम शिक्षित करते हैं तो पूरे परिवार को हम शिक्षित करते हैं।