भ्रूणहत्या निषेध
महर्षि की दृष्टि हर उस बात पर गई जो समाज के ताने-बाने को नष्ट कर रहा है।
“अब इस समय में नियोग और पुर्नविवाह दोनों के बन्द होने से आज कल के आर्य लोगों में जो-जो भ्रष्टाचार फैला हुआ है, वह आप लोग देख ही रहे हैं। हजारों गर्भ गिराये जाते हैं। भ्रूणहत्याएँ होती हैं। एक गर्भ गिराने से एक ब्रह्म हत्या का पाप होता है। सोचो कि इस देश में कितनी ब्रह्महत्यायें प्रतिदिन होती हैं।”
ऋषि दयानन्द सरस्वती के पत्र और विज्ञापन (भाग 1)
स्त्रियों के लिए बाहरी बाबाओं गुरु बनाने के बारे
ऋषि दयानन्द तब तथाकथित बाबाओं के चरित्र को पहचान चुके थे, निरन्तर यात्राओं में, खासकर धार्मिक स्थानों में उन्होंने जो गड़बड़ देखी तो उन्होंने ये उपदेश दिया-
"एक दिन कुछ स्त्रियां दोपहर के समय विशेष आज्ञा प्राप्त करके स्वामीजी के पास उपदेश सुनने के अभिप्राय से गईं और स्वामीजी से पूछा कि ज्ञान और शान्ति किस प्रकार हो सकती है? स्वामीजी ने उनसे कहा कि “तुम्हारे पति तुम्हारे गुरु हैं, उन्हीं की सेवा तुमको करनी चाहिए, किसी साधु को गुरु मत बनाओ और विद्या पढ़ो। तुम अपने पतियों को यहां भेजा करो और उनके द्वारा हमारे उपदेश से लाभ उठाया करो।” उस दिन के पश्चात् स्वामीजी ने स्त्रियों का आना बन्द कर दिया।"
श्रीमद्दयानन्द जीवन चरित्र
गर्भपात रोकने सम्बन्ध में
महर्षि की दृष्टि हर उस बात पर गई जो समाज के ताने-बाने को नष्ट कर रहा है।
“मैं इन फलों का विचार करता हूं कि हजारों बालकों के जीवन बचाए जायेंगे यदि गर्भपातन बन्द या कम हो जाएगा, इस प्रकार नियोग या विधवाओं का पुर्नविवाह अन्ततः प्रचलित होगा…।”
ऋषि दयानन्द सरस्वती के पत्र और विज्ञापन (भाग 1)