धन का उपयोग क्या करें?
समाज के दान व धर्म के लिए दिए जाने वाला धन अन्यान्य कार्यों में खर्च होता था, इसलिए दयानन्द धन का सामजिक जीवन के उत्थान के लिए उपयोग करने की व्यवस्था देते हैं-
“जो धन प्राप्त हो उसे तीन कार्यों मे व्यय करना। 1. वेदों के सम्बन्ध में ज्ञान और पुस्तक प्रचार में। 2. सदाचार की शिक्षा देने वाली सभाओं की सहायता में। 3. दीन दरिद्रों की सहायता में।”
ऋषि दयानन्द सरस्वती के पत्र और विज्ञापन (भाग 1)