• भ्रूणहत्या निषेध

    महर्षि की दृष्टि हर उस बात पर गई जो समाज के ताने-बाने को नष्ट कर रहा है।

    “अब इस समय में नियोग और पुर्नविवाह दोनों के बन्द होने से आज कल के आर्य लोगों में जो-जो भ्रष्टाचार फैला हुआ है, वह आप लोग देख ही रहे हैं। हजारों गर्भ गिराये जाते हैं। भ्रूणहत्याएँ होती हैं। एक गर्भ गिराने से एक ब्रह्म हत्या का पाप होता है। सोचो कि इस देश में कितनी ब्रह्महत्यायें प्रतिदिन होती हैं।”

    ऋषि दयानन्द सरस्वती के पत्र और विज्ञापन (भाग 1)

  • गर्भपात रोकने सम्बन्ध में

    महर्षि की दृष्टि हर उस बात पर गई जो समाज के ताने-बाने को नष्ट कर रहा है।

    “मैं इन फलों का विचार करता हूं कि हजारों बालकों के जीवन बचाए जायेंगे यदि गर्भपातन बन्द या कम हो जाएगा, इस प्रकार नियोग या विधवाओं का पुर्नविवाह अन्ततः प्रचलित होगा…।”

    ऋषि दयानन्द सरस्वती के पत्र और विज्ञापन (भाग 1)