स्त्रियों के लिए बाहरी बाबाओं गुरु बनाने के बारे
ऋषि दयानन्द तब तथाकथित बाबाओं के चरित्र को पहचान चुके थे, निरन्तर यात्राओं में, खासकर धार्मिक स्थानों में उन्होंने जो गड़बड़ देखी तो उन्होंने ये उपदेश दिया-
"एक दिन कुछ स्त्रियां दोपहर के समय विशेष आज्ञा प्राप्त करके स्वामीजी के पास उपदेश सुनने के अभिप्राय से गईं और स्वामीजी से पूछा कि ज्ञान और शान्ति किस प्रकार हो सकती है? स्वामीजी ने उनसे कहा कि “तुम्हारे पति तुम्हारे गुरु हैं, उन्हीं की सेवा तुमको करनी चाहिए, किसी साधु को गुरु मत बनाओ और विद्या पढ़ो। तुम अपने पतियों को यहां भेजा करो और उनके द्वारा हमारे उपदेश से लाभ उठाया करो।” उस दिन के पश्चात् स्वामीजी ने स्त्रियों का आना बन्द कर दिया।"
श्रीमद्दयानन्द जीवन चरित्र