जो कोई दुःख को छुड़ाना और सुख को प्राप्त होना चाहे वह अधर्म को छोड़ धर्म अवश्य करें। क्योंकि दुःख का पापाचरण और सुख का धर्माचरण मूल कारण है।

(सत्यार्थप्रकाश समुल्लास 9)