सब मनुष्यों को न्याय दृष्टि से वर्त्तना अति उचित है। मनुष्य जन्म का होना सत्यासत्य के निर्णय करने कराने के लिए है न कि वादविवाद विरोध करने कराने के लिए।

(सत्यार्थप्रकाश अनुभूमिका)