जैसा राजा होता है वैसी ही उसकी प्रजा होती है इसलिए राजा और राजपुरुषों को अति उचित है कि कभी दुष्टाचार न करें किन्तु सब दिन धर्म न्याय से बर्तकर सबके सुधार के दृष्टा बने।
(सत्यार्थप्रकाश समुल्लास 6)
जैसा राजा होता है वैसी ही उसकी प्रजा होती है इसलिए राजा और राजपुरुषों को अति उचित है कि कभी दुष्टाचार न करें किन्तु सब दिन धर्म न्याय से बर्तकर सबके सुधार के दृष्टा बने।
(सत्यार्थप्रकाश समुल्लास 6)