भला जो पुरुष विद्वान् और स्त्री अविदुषी और स्त्री विदुषी और पुरुष अविद्वान् हों तो नित्यप्रति देवासुर संग्राम घर में मचा रहे फिर सुख कहां?
(सत्यार्थप्रकाश समुल्लास 3)
भला जो पुरुष विद्वान् और स्त्री अविदुषी और स्त्री विदुषी और पुरुष अविद्वान् हों तो नित्यप्रति देवासुर संग्राम घर में मचा रहे फिर सुख कहां?
(सत्यार्थप्रकाश समुल्लास 3)