जो परमेश्वर की स्तुति, प्रार्थना और उपासना नहीं करता वह कृतघ्न और महामूर्ख भी होता है क्योंकि जिस परमात्मा ने इस जगत् के सब पदार्थ सुख के लिए दे रखे हैं उसके गुण भूल जाना ईश्वर ही को न मानना कृतघ्नता और मूर्खता है।

(सत्यार्थप्रकाश समुल्लास 7)