“जो धर्मयुक्त उत्तम काम करे, सदा परोपकार में प्रवृत्त हो, कोई दुर्गुण जिसमें न हो, विद्वान् सत्योपदेश से सब का उपकार करे, उसको साधु कहते हैं।”

(सत्यार्थप्रकाश समुल्लास 11)