जो ब्राह्मणादि उत्तम करते हैं वे ही ब्राह्मणादि और जो नीच भी उत्तम वर्ण के गुण कर्म स्वभाव वाला होवे तो उसको भी उत्तम वर्ण में और तो उत्तम वर्णस्थ होके नीच काम करे तो उसको नीच वर्ण में गिनना अवश्य चाहिए।
(सत्यार्थप्रकाश समुल्लास 4)
By Ajay Shrivas|2023-02-07T18:15:07+05:30February 7th, 2023|Comments Off on २०