जैसे शीत से आतुर पुरुष का अग्नि के पास जाने से शीत निवृत्त हो जाता है वैसे परमेश्वर के समीप प्राप्त होने से सब दोष दुःख छूटकर परमेश्वर के गुण कर्म स्वभाव के सदृश जीवात्मा के गुण कर्म स्वभाव पवित्र हो जाते हैं।
(सत्यार्थप्रकाश समुल्लास 7)
By admin|2023-02-07T15:49:32+05:30February 7th, 2023|Comments Off on १