महर्षि दयानन्द द्वारा उपयोग की गईं वस्तुएँ
महर्षि दयानन्द ने अपने जीवन काल में विभिन्न वस्तुओं का उपयोग किया जिनमें वस्त्र, पादुका, बर्तन व पुस्तकें आदि वस्तुएँ सम्मिलित हैं। ऐतिहासिक एवं पुरातात्त्विक दृष्टि से ये वस्तुएँ बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। इनके द्वारा 19वीं सदी के उस महामानव को जानने का अवसर मिलता है।
महर्षि दयानन्द ने अपने जीवनकाल में ही अपनी स्वीकार पत्र में अपनी वस्तुयों का उतराधिकार श्रीमती परोपकारिणी सभा को दे दिया था। अतः उनके द्वारा नश्वर देह त्यागने के पश्चात् परोपकारिणी सभा में उनकी अधिकतर वस्तुओं को अपने अधिकार में लेकर सुरक्षित कर लिया था। वर्तमान में ये वस्तुएँ परोपकारिणी सभा के ऋषि उद्यान, अजमेर स्थित संग्रहालय में प्रदर्शित हैं।
इस संग्रहालय में महर्षि दयानन्द के दो दुशाले, कमण्डल, पादुका (खड़ाऊ), मसिपात्र, रेत घड़ी, चाकू, डाक तोलने की तुला, हस्ताक्षर की मुहर, भोजन के पात्र आदि वस्तुएं प्रदर्शित हैं। पुस्तकों की छपाई के लिए लन्दन से मंगाई गई प्रिंटिंग मशीन भी इस संग्रहालय में देखने को मिलेगी। इसमें महर्षि दयानन्द सरस्वती की वस्तुओं के साथ-साथ उनके हस्तलेख, उनके पत्र, उनकी समस्त पुस्तकें भी हैं।
परोपकारिणी सभा के तत्कालीन उपमन्त्री पण्डित मोहनलाल विष्णुलाल पण्ड्या ने स्वामी जी की पुस्तकों तथा अन्य पदार्थों का जो विवरण प्रस्तुत किया था वह इस प्रकार है –
पुस्तक संग्रह – पुस्तकों तथा कागज पत्रों के 24 बस्ते थे जो अजमेर से उदयपुर ले जाए गए। पुनः वैदिक यन्त्रालय प्रयाग में इनमे से कुछ पुस्तकें ग्रन्थ संशोधनकर्ता पंडितों के उपयोगार्थ भेजी गईं। जब यन्त्रालय 1891 में अजमेर आ गया तो ये ग्रन्थ भी अजमेर आ गए। परन्तु यह कहना कठिन है की स्वामी जी का समस्त ग्रन्थ संग्रह अजमेर आ गया और उदयपुर में पण्ड्या जी के पास कोई ग्रन्थ नहीं रहे। इन बस्तों का विवरण नीचे लिखा है।
वेष्टन 1 ऋग्वेद संहिता मूल, पदपाठ तथा ऋग्वेदभाष्य 2 जिल्द, ऋग्वेद के वेदार्थयत्न नामक भाष्य की एक प्रति भी इसमें थी।
वेष्टन 2 यजुर्वेद संहिता मूल, पदपाठ, अनुक्रमणिका और भाष्य।
वेष्टन 3 सामवेद संहिता मूल तथा पदपाठ।
वेष्टन 4 अथर्ववेद संहिता मूल, पदपाठ (अष्टम काण्ड पर्यन्त), अनुक्रमणिका, पण्ड्या जी द्वारा भेंट अथर्ववेद की एक हस्तलिखित प्रति।
वेष्टन 5 शतपथ, ऐतरेय, संहितोपनिषद, वंश, षड्विंश, कौषीतकी तथा गोपथ ब्राह्मण।
वेष्टन 6 वेदांग विषयक ग्रन्थ, अष्टाध्यायी, निरुक्त, शिक्षा, पिंगल सूत्र, महाभाष्य-कैयट विवरण सहित, चरण व्यूह, प्रातिशाख्य आदि।
वेष्टन 7 षड्दर्शन विषयक ग्रन्थ, सर्वदर्शन संग्रह, वेदान्त तत्त्वसार आदि।
वेष्टन 8 उपनिषद् एवं आरण्यक (कुछ हस्तलिखित ग्रन्थ)।
वेष्टन 9 मनुस्मृति, शुक्रनीति, संन्यास पद्धति (हस्तलिखित), संस्कारविधि गुजराती टीका, विदुर प्रजागर के उपयोगी श्लोकों का संग्रह (हस्तलेख)।
वेष्टन 10 इसमें अमरकोष तथा नानार्थाभिधान कोष की दो प्रतियाँ थीं।
वेष्टन 11 वैद्यक विषयक पुस्तकों का संग्रह। इसमें स्वामी जी द्वारा लिखित औषधियों के कुछ नुस्खे भी थे।
वेष्टन 12 अरबी भाषा में मूल क़ुरान तथा स्वामी जी के निर्देशन में तैयार क़ुरान का हिंदी अनुवाद (हस्तलिखित)।
वेष्टन 13 बाइबिल 3 (ज़िल्द), ऋग्वेद का मैक्समूलर कृत अंग्रेजी अनुवाद।
वेष्टन 14 जैनमत के ग्रन्थ - इस बस्ते में "प्राकृत भाषा का संस्कृत शब्दों के साथ अनुवाद अस्त-व्यस्त स्वामी जी का बनाया लिखित पुस्तक " भी था।
वेष्टन 15 इसमें रामसनेही, ब्रह्मसमाज, प्रार्थनासमाज आदि के ग्रंथों के अतिरिक्त भारतेन्दु हरिश्चन्द्र रचित कुछ ग्रन्थ, चन्द्रलोक, भोज प्रबन्ध आदि संस्कृत ग्रन्थ तथा दयानन्द दिग्विजयार्क (स्वामी जी की प्रथम प्रकाशित जीवनी), ऋग्वेदादि भाष्यभूमिका उर्दू अनुवाद आदि ग्रन्थ थे।
वेष्टन 16 स्वामी जी कृत चतुर्वेद विषय सूची, चारों वेदों की अकार आदि क्रम से सूची, ऋग्वेद सूचीपत्र, अथर्ववेद के मन्त्रों की सूची, उपनिषद्, ऐतरेय, शतपथ, निरुक्त, निघण्टु, धातुपाठ, उणादि, वार्तिक आदि की सूचियाँ, क़ुरान, बाइबिल और जैन ग्रंथों की सूचियाँ। ये सभी हस्तलेख थे।
वेष्टन 17 स्वामी जी रचित एवं प्रकाशित ग्रन्थ।
वेष्टन 18 स्वामी जी रचित ऋग्वेद और यजुर्वेद भाष्य का (Rough) अशुद्ध लेख अर्थात संस्कृत शोधकर भाषा बनाने का।
वेष्टन 19 ऋग्वेद और यजुर्वेद भाष्य का शुद्ध लेख (Press Copy)।
वेष्टन 20 ऋग्वेद भाष्य भाषा सहित, शुद्ध प्रति, संस्कारविधि की रफ कॉपी।
वेष्टन 21 कुछ पुस्तकों के रद्दी फार्म।
वेष्टन 22 स्वामी जी कृत और मुद्रित पुस्तकों की सूची।
वेष्टन 23 हिसाब की बही 4 और नोटबुक 2।
वेष्टन 24 गोरक्षार्थ हस्ताक्षरी पत्र।
उपर्युक्त ग्रन्थों के अतिरिक्त 63 पुस्तकें वैदिक यन्त्रालय प्रयाग में थीं। पण्ड्या जी ने जो अन्य सूचियां प्रस्तुत कीं वे इस प्रकार हैं –
- कपड़ों की फेहरिस्त जो उदयपुर में है। (संख्या 74)
- कपड़ों की फेहरिस्त जो वैदिक यन्त्रालय प्रयाग में है। (संख्या 5)
- बर्तनों की फेहरिस्त जो उदयपुर में है। (संख्या 26)
- बर्तनों की फेहरिस्त जो वैदिक यन्त्रालय प्रयाग में है। (संख्या 18)
- काष्ठ की फेहरिस्त जो उदयपुर में है। (संख्या 7)
- काष्ठ की फेहरिस्त जो वैदिक यन्त्रालय प्रयाग में है। (संख्या 2)
- फुतफर्रकात (प्रकीर्ण) चीज़ों की फेहरिस्त जो उदयपुर में है। (संख्या 23)
- फुतफर्रकात (प्रकीर्ण) चीज़ों की फेहरिस्त वैदिक यन्त्रालय प्रयाग में है। (संख्या 3)
इस प्रकार हम देखते हैं कि निधन के पश्चात् उनकी निजी उपयोग की वस्तुओं तथा पुस्तकालय का सम्पूर्ण विवरण उपलब्ध है। इससे यह अनुमान किया जा सकता है कि स्वामी जी ने किन-किन ग्रंथों का संग्रह एवं उपयोग किया था।
उपरोक्त के अतिरिक्त भी अनेक स्थानों पर महर्षि दयानन्द द्वारा उपयोग की गई वस्तुएँ सुरक्षित होंगीं। यदि आपके पास इस सम्बन्ध में कोई भी जानकारी हो तो thearyasamaj@gmail.com पर भेजें।