महर्षि दयानन्द जन्मस्थली, टंकारा, गुजरात
भारत के गुजरात प्रान्त के गाँव टंकारा की पुण्यभूमि पर महर्षि दयानन्द का जन्म हुआ था। इस स्थल पर आर्य समाज की विस्तृत गतिविधियाँ चलती हैं।
महर्षि दयानन्द बोधस्थली, टंकारा का शिव मंदिर, गुजरात
महर्षि दयानन्द के बचपन में घटी चूहे की घटना इसी शिव मंदिर में महाशिवरात्रि को घटी थी और इसी से उन्हें बोध हुआ था। इस स्थल पर दयानन्द का चित्र लगा है।
गुरु विरजानन्द कुटी, मथुरा
इस स्थान पर महर्षि दयानन्द की सच्चे गुरु की खोज पूरी हुई थी और उन्हें अपने गुरु विरजानन्द दण्डी जी मिले थे। इसी स्थान पर उन्होंने अपने गुरु से व्याकरण का अद्ययन किया था। गुरु विरजानन्द की कुटी के जर्जर होने पर आर्य समाज ने उसके स्थान पर तीन मंजिला भवन स्थापित कर दिया है।
पाखण्ड खंडिनी पताका स्थल, हरिद्वार
महर्षि दयानन्द ने हरिद्वार के कुम्भ मेले में पाखंड खंडनी पताका गाड़ कर वेद विरुद्ध मतों का पाखंड का खंडन किया था। इस स्थल पर आर्य समाज द्वारा वैदिक मोहन आश्रम की स्थापना की गई है और आज भी यहाँ पाखंड खंडनी पताका स्थित है।
देश में फैली दरिद्रता के दर्शन, प्रयागराज
प्रयागराज स्थित नाग वासुकि मन्दिर की सीढ़ियों से महर्षि दयानन्द ने निर्धन माता द्वारा बालक के शव से कफन उतारने का दृश्य देखा था। वर्ष 1999 में प्रयागराज कुम्भ के समय आर्य समाज ने इस मन्दिर तक विशाल शोभायात्रा का आयोजन किया था।
विश्व की प्रथम गौशाला, रेवाड़ी
गायों की रक्षा और सम्वर्धन के लिए महर्षि दयानन्द ने रेवाड़ी में विश्व की प्रथम गौशाला की स्थापना की थी।
काशी शास्त्रार्थ स्थली, बनारस
काशी में पौराणिक पंडितों से शास्त्रार्थ में महर्षि दयानन्द की ऐतिहासिक विजय हुई थी। इस स्थल पर काशी शास्त्रार्थ स्मृति स्थल की स्थापना की गई है। वर्ष 1999 में काशी शास्त्रार्थ की 150वीं वर्षगांठ के अवसर पर आर्य समाज ने भव्य महासम्मेलन कर काशी शास्त्रार्थ स्थली पर विशाल शोभायात्रा का आयोजन किया था।
पूना प्रवचन स्थली, पुणे
इस स्थल पर महर्षि दयानन्द ने प्रवचन दिए थे जो कि पूना प्रवचन के नाम से प्रसिद्ध हैं। इन प्रवचनों का संकलन कर उपदेश मंजरी के नाम से पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया जा चुका है।
प्रथम आर्य समाज, मुम्बई
महर्षि दयानन्द ने मुम्बई के कांकड़वाड़ी में आर्य समाज की स्थापना की थी। यह विश्व का प्रथम आर्य समाज है और वर्तमान में यहाँ भव्य आर्य समाज मंदिर कार्यरत है।
आर्य अनाथालय, फिरोजपुर
महर्षि दयानन्द ने फिरोजपुर में हिन्दू बच्चों के लिए पहले हिन्दू अनाथालय की स्थापना की।
संस्कृत एवं वेद पाठशाला, फर्रुखाबाद
महर्षि दयानन्द ने फर्रूखाबाद के पास गंगा पर स्थित टोकाघाट पर पहली संस्कृत एवं वेद पाठशाला की स्थापना की।
कासगंज शास्त्रार्थ स्थली
महर्षि दयानन्द ने सोरों, कासगंज स्थित इस स्थल पर पंडित अंगद राम शास्त्री से शास्त्रार्थ किया था।
ॠग्वेदादिभाष्यभूमिका लेखन स्थली, अयोध्या
महर्षि दयानन्द ने सरयूबाग, अयोध्या स्थित इस स्थल पर ॠग्वेदादिभाष्यभूमिका की रचना की थी।
नवलखा महल, उदयपुर
नवलखा महल में महर्षि दयानन्द ने अपनी कालजयी रचना सत्यार्थ प्रकाश की रचना की थी। साथ ही उन्होंने यहीं पर परोपकारिणी सभा का गठन किया और अधिकार पत्र लिखा। वर्तमान में यहाँ आर्य समाज की गतिविधियाँ चलती हैं।
वैदिक यन्त्रालय, अजमेर
महर्षि दयानन्द ने वेदादि पुस्तकों के मुद्रण के लिए अजमेर में वैदिक यन्त्रालय की स्थापना कर इसको अत्याधुनिक मशीनों से सुसज्जित किया था। वर्तमान में यहाँ आर्य समाज की गतिविधियाँ चलती हैं।
फैजुल्ला खां की कोठी, जोधपुर
फैजुल्ला खां की कोठी पर महर्षि दयानन्द को अंतिम बार जहर दिया गया था जिससे उनका देहांत हो गया। वर्तमान में यहाँ आर्य समाज की गतिविधियाँ चलती हैं।
भिनाय की कोठी, अजमेर
महर्षि दयानन्द ने इसी पुण्यभूमि पर देह त्याग किया था। यहीं पर पंडित गुरुदत्त विद्यार्थी ने महर्षि दयानन्द के दर्शन किए थे। वर्तमान में यहाँ आर्य समाज की गतिविधियाँ चलती हैं।
मलूसर शमशान भूमि, अजमेर
महर्षि दयानन्द के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार इसी स्थल पर किया गया था। यहाँ पर महर्षि दयानन्द का स्मृति स्थल बना है।
ऋषि उद्यान, अजमेर
इसी पुण्यभूमि पर महर्षि दयानन्द की अस्थियाँ दबाई गई थीं। इसी स्थान पर परोपकारिणी सभा का मुख्यालय भी है। वर्तमान में यहाँ आर्य समाज की गतिविधियाँ चलती हैं।
(यह सूची अपूर्ण है। महर्षि दयानन्द के जीवन से जुड़े असंख्य स्मारक हैं जिनको इस सूची में सम्मिलित होना चाहिए। यदि आपके पास सम्बंधित जानकारी है तो thearyasamaj@gmail.com पर भेजने की कृपा करें।)