आर्यसमाज समस्त संसार को वेदानुयायी बनाने का स्वप्र देखता है। स्वामी दयानन्द ने इसे जीवन और सिद्धान्त दिया। उनका विश्वास था कि आर्यजाति चुनी हुई जाति है, भारत चुना हुआ देश है और वेद चुनी हुई धार्मिक पुस्तक है।