धन्य है तुमको ए ऋषि
धन्य है तुमको ए ऋषि, तूने हमें जगा दिया।
सो सो के लुट रहे थे हम तूने हमें जगा दिया।
अन्धों को आखें मिल गई मुर्दों में जान आ गई।
जादू सा क्या चला दिया अमृत सा क्या पिला दिया।
वाणी में क्या तासीर थी तेरे वचन में ऐ ऋषि।
कितने शहीद हो गए कितनों ने सर कटा दिया।
अपने लहू से लेखराम तेरी कहानी लिख गया।
तूने ही लाला लाजपत शेरे बब्बर बना दिया।
श्रद्धा से श्रद्धानन्द ने सीने पे खाई गोलियां।
हंस-हंस के हंसराज ने तन मन व धन लुटा दिया।
तेरे दिवाने जिस घड़ी दक्षिण दिशा को चल दिये।
वैदिक धर्म पे हो फ़िदा दुनिया का दिल दहला दिया।