महापुरूष जनम लेंगे
महापुरूष जनम लेंगे सुना न जहाँ होगा।
गुरुदेव दयानन्द सा दुनिया में कहाँ होगा।
आकाश के आंगन में जब तक ये सितारे हैं।
इन चाँद सितारों में जब तक ये नजारे है।
तब तक ऐ ऋषि तेरा अफसाना बयां होगा।
भूचाल भी आयेंगे आंधी अंधियारे भी।
तूफान भी उहेंगे पतझड़ भी बहारें भी।
महकेगा तेरा गुलशन जब दौरे खिजाँ होगा।
धन रूपी मालो जर का संसार पुजारी है।
गुरुदेव दयानन्द ने इन्हें ठोकर मारी है।
इस तरह जमाने से कोई न गया होगा।
बेदर्द जमाने ने क्या क्या न सितम ढाए।
एहसान दयानन्द के जायें नहीं गिनवाएं।
बेमोल ऋषि तेरा नहीं कर्ज अदा होगा।